''कई मोड़ के बाद जिंदगी और भी है''—काव्य संध्या हुई आध्यात्मिक


भीलवाड़ा, 25 नवंबर। भीलवाड़ा की अग्रणी साहित्यिक संस्था *नवमानव सृजनशील चेतना सोसायटी* की ओर से रविवार को भदादा बाग़ के पीछे स्थित *ओशो सुरधाम ध्यान केन्द्र* में इस बार मासिक काव्यसंध्या का ऐसे भावपूर्ण वातावरण में आयोजन हुआ कि एक के बाद एक जीवन की सच्चाईयों को उकेरती  रचनाओं की प्रस्तुति से इसको आध्यात्मिक स्वरुप मिल गया। इस काव्यसंध्या में वरिष्ठ कवि राधेश्याम गर्ग अभिनव मुख्य अतिथि थे। काव्यसंध्या की अध्यक्षता व खूबसूरत संचालन किया संस्था संयोजक डॉ एसके लोहानी ख़ालिस ने और शुभारंभ राधेश्याम गर्ग अभिनव की सुमधुर सरस्वती वंदना से हुआ।


ओशो सुरधाम की कविता लोहानी ने बताया कि काव्यसंध्या की शुरुआत श्यामसुन्दर तिवाड़ी मधुप ने *'भारतमाता के चरणो में शीश झुकाकर करें वन्दना,मातृभूमि की रक्षा खातिर अर्पण करें ऐसे तन-मन'*,, डॉ एसके लोहानी ख़ालिस ने *इक सजदे के बाद बन्दगी और भी है,कुछ बुझने के बाद तिश्नगी और भी है,कोई मोड़ होता नहीं दुनिया में आखरी,कई मोड़ के बाद जिन्दगी और भी है'* व *फूँक जाने दो जलाओ नफरत की लंका,हूक उठने दो  बजाओ मुहब्बत का डंका'*,, राधेश्याम गर्ग अभिनव ने *'सृष्टि के आरंभ से ही मन सदा पापी रहा,जिन्दगी सच्ची रही ये झुठ का साथी रहा'*, ओम उज्जवल ने *'अंधियारी काली रातें जाने कितनी बीत गईं,घर-घर में हैंं राम विराजे आज अयोध्या जीत गई'*, सतीश व्यास आस ने *'वो नाराज रही होगी,कुछ तो बात रही होगी,या वो मौन रहे होंगे,या हद पार रही होगी'*, बंशी पारस ने *'राई जितना सच बोला मैं,पर्वत जितनी हुई पिटाई'*, योगेन्द्र सक्सेना योगी ने *'जीवन के दिन चार मूरख क्यूँ इतराए,कर ले तू उसको याद उमरिया बीती जाये'*, रविन्द्र जैन ने *'आप मानो तो जिन्दगी एक छन्द हैं,सुर है,लय है,ताल है'* एवं अरुण अजीब ने *'पद ये लिखा नहीं है तुलसी,कबीर,खुसरो,जिगर या बशीर ने,मिट्टी मरूधरा की मेरा जीवन संवारती,मेवाड़ की खुशबू बसी मेरे जमीर में'* सरीखी गहन रचनाओं की प्रस्तुति देकर काव्यसंध्या को सार्थक बनाया।


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